Sukh kya hai. हर कोई दुनिया में सुख की तलाश करते रहते हैं लेकिन हमें सुख क्या है यह कभी मालूम ही नहीं होता है सुख वह चीज है जिसे हर कोई पाना चाहता है और जिसे हर कोई अपनाना भी चाहता है तो आईए जानते हैं सुख के चाहत रखने वाले के लिए
Sukh kya hai
जीवन में हर इंसान को जीवन जीने के लिए सुख सुख की जरूरत होती है सुख बिना जीवन अधूरा महसूस होने लगता है और सुख जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण होती है जब तक इंसान की जीवन में सुख नहीं होगा उसका जीवन वीरान होने लगता है और वह जिंदगी से हारा हुआ महसूस करने लगता है लेकिन यह सुख होता क्या है जिसे लोग पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है क्या सुख जीवन का मूल कारण होते हैं जिसे हर कोई किसी भी हद तक जाकर पाने की कोशिश करते हैं
सुख यह चीज है जो मन को संतोष और दिल को सुकून दे आत्मा को शांति दे और अपनों को सुकून दे यही सुख की चाहा है जो लोग सुख चाहते हैं वह मन
को संतोष करना चाहिए संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं जो इंसान मन में शांति है वह इंसान से बड़ा सुख कोई नहीं है जिसके मन में संतोष है उससे बड़ा सुखी कोई नहीं है
जीवन में अगर सुख चाहते हो तो संतोष करना सीख लो यह सुख होता है जो मन को संतोष करते हैं सुख शांति के लिए जीवन में हमेशा दूसरों का भला ही करना चाहिए जिससे मन को सुकून और शांति मिल सके यह सुख क्या होता है सुख वह होता है जिसमें हमारे आत्मा को सुकून दिल को शांति और मन को संतोष मिल सके यही तो सुख होता है सुख की चाहत में अनेक प्रकार के लोग कोई भी कार्य करने से और किसी की भी बुरा करने में नहीं घबराते हैं जिससे उसको इसके बजाय उल्टा परी नाम मिलने लगता है उसे सुख की बजाय दुख मिलने लगता है
इसलिए हमेशा जब हम जीवन में सुख चाहते हैं तो दूसरों के साथ-साथ अपना भी भला करने का कार्य करना चाहिए जिससे हमारे मन को संतोष मिल सके और आत्मा को भी शांति मिल सके
सुख क्या है
- जिसमें मन को शांति मिले वह सुख है और आत्मा को शांति मिले वह सुख है
- सुख संतोष है जिसके जीवन में संतोष है उसका जीवन सुखी है
- सुख अपनों में होते हैं जो अपने परिवार के साथ जीवन में खुश है वह सबसे सुखी है
- जिसका बेटा आज्ञाकारी है जिसका पत्नी प्रति वर्ता है जिसका धन दूसरों और अपनों का काम आता हो वह सुखी है
- जिसके अच्छा कार्य करने से आत्मा को शांति मिले वह सुखी है और जो बुरे कार्य करने से इंकार करें वह सुखी है
- सुख यह है जो दूसरों को दे सुख वह होता है जो अपनों को दे सुख आत्मा में शांति को कहते हैं सुख अपनों के और दूसरों के प्यार को कहते हैं
- कोई भी अच्छा कार्य करने से हमें सुख प्राप्त होता है
- और अच्छे कार्य से ही सुख होता है
सुख और दुख में क्या अंतर है
हर इंसान अपने जीवन भर सुख की चाहत रखते हैं लेकिन उसको यह शायद पता नहीं होगा कि सुख दुख बिना अधूरा है और दुख सुख बिना अधूरा है जैसे स्त्री बिना पुरुष अधूरा है वैसे ही पुरुष बिना स्त्री अधूरा है इस प्रकार दोनों एक दूसरे से चलते रहते हैं क्योंकि जब आपको दुख मिलेगा तभी जाकर आपको सुख मिलेगा और जब आपको सुख मिलेगा तभी जीवन में दुख मिलेगा ऐसा दुनिया में कोई इंसान नहीं है जिसे सुख ही सुख या उसे दुखी दुख मिला हो हर इंसान को दुनिया में सुख और दुख मिलता है हां अगर किसी का सुख ज्यादा होता है और किसी का दुख ज्यादा होता है लेकिन दुनिया में सभी इंसान को सुख और दुख मिलते रहते हैं
हमारे देश में बड़े-बड़े ज्ञानी पैदा हुए जिन्होंने कहा है कि जिसको सुख चाहिए वह ज्ञान को प्राप्त नहीं कर सकता और जिनको ज्ञान चाहिए वह सुख की चाहत छोड़ दे यह महाभारत काल के महान ज्ञानी विदुर जी की ज्ञान है जिसने विदुर नीति में कहा है
जो इंसान सुख की चाहत रखते हैं वह कभी ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते और जो इंसान ज्ञान प्राप्त करते हैं वह सुख की चाहत छोड़ दें
सुख मन को खुशी देती है वही दुख मन को जलाती
है
सुख हर कोई पाना चाहता है दुख को कोई नहीं अपनाना चाहता
एक सरल रास्ता और एक कठिन रास्ता दोनों में हर इंसान एक सरल रास्ता को ही चुनता है और कठिन रास्ता कोई नहीं अपनाना चाहता क्योंकि उसमें दुख मिलता है जबकि कठिन रास्ता में आपको अनुभव मिलेगा इसलिए परिश्रम कोई नहीं करता सब सुख को ही अपनाना चाहते हैं
इंसान को हमेशा समझना चाहिए की दुख है तभी तो सुख है और सुख है तभी तो दुख है जीवन में अगर सच्चा सुख किसी को होता है तो वह आत्मा और मन का संतोष से ही मिलता है जिसका मन में संतोष है वह इंसान सुखी है और जिसका परिवार में प्यार है सम्मान है वह सुखी है क्योंकि परिवार से बड़ा दुनिया में कोई नहीं होता और मां-बाप से बाद भी कोई नहीं होता इसलिए जिसका परिवार और मां-बाप सुखी है वह इंसान सुखी है और जो दूसरों से जलन रखते हैं वह अपने आप जलते हैं इसलिए हमेशा दूसरों से ए बैर जलन की भावना रखना छोड़ दो क्योंकि आप खुद ही इसकी जलन में जलते रहोगे हमेशा दुखी रहोगे इसलिए अपना कर्म धर्म और कर्तव्य अच्छे से निभाव और मन में संतोष रखकर अपना कार्य करो आप जीवन में सुखी रहोगे और बाकी परमात्मा और सदा पालन करने वाला परमपिता परमेश्वर के ऊपर छोड़ दो
सुख से आप क्या समझते हो
मन में संतोष आत्मा में शांति
मनुष्य का असली सुख क्या है
संतोषी मनुष्य जीवन में सदा सदा सुखी है
जीवन में सुख क्या है
शारीरिक सुख मानसिक सुख धन की सुख और अपनों की सुख ही जीवन की सुख है जिसका शरीर ठीक है वह हमेशा सुखी रहेगा
दुख क है
आत्मा का दुख शरीर का दुख धन का दुख