विदुर जी कौन थे. महाभारत काल

विदुर जी कौन थे। यह महाभारत काल की बात है जब जब विदुर का जन्म हुआ और इसका जन्म किस कारण हुआ यह जानने की कोशिश करेंगे

विदुर जी कौन थे

विदुर जी जन्म से ही ज्ञानी थे और वह पांडव और दृष्ट राष्ट्र के छोटे भाई थे जिसका माता राजमहल के दासी थे और उसके पिता ऋषि वेदव्यास थे और इसका जन्म की कहानी इस प्रकार है कि जब ऋषि वेदव्यास अपने नेत्र से गर्भवती करने के लिए रानी को बुलाते हैं तो सबसे पहले पांडू के माता जी आते हैं और

ऋषि वेदव्यास ने अपनी आंखों में देखने के लिए कहा और जब पांडव की मां उसकी आंखों में देखते हैं तो वह गर्भधारण कर लेते हैं उसी प्रकार धृतराष्ट्र की माता को भी बुलाते हैं और वह भी पांडू की मां की तरह आंखों में देखने को कहा लेकिन जब ऋषि व्यास ने अपने नेत्र को धृतराष्ट्र की माता के ऊपर देखा तो उसकी माता ने आंख मूंद दिया इसलिए धृत राष्ट्र जन्म से अंधा पैदा हो गया

इसी प्रकार विदुर के माताजी आए तो वह बिना डर के ऋषि वास के आंखों में देखने लगे और वह बिना डरे ही यह सब काम करते रहे और वह ज्ञानी विदुर का जन्म हुआ एक दासी पुत्र के रूप में और यह बात ऋषि वेदव्यास को पता नहीं था कि जो लास्ट में आ रहे हैं वह एक दासी है उसको महारानी ने अपने बदले में भेज दिया था

विदुर जी अगले जन्म में कौन थे

विदुर जी अगले जन्म में पाप का हिसाब किताब करने वाला यमराज थे यमराज जी के गलती के कारण वह विदुर के रूप में महाभारत काल में जन्म लिया है कहा जाता है कि जब ऋषि मांनडवय को एक राजा ने चोरी करने के लिए दोषी करार देते हुए उसे एक सुई बराबर धार वाले नाखून हथियार के ऊपर चढ़ा दिए थे और जब कई दिनों तक ऋषि मांनडवय को कुछ नहीं हुआ तो राजा को अपने गलती का एहसास होने लगा तभी राजा ने महर्षि मांनडवय से अपनी गलती की माफी मांगी

तब महर्षि मांनडवय ने राजा को क्षमा कर दिया और अपने ताकत और शक्ति से वह यमलोक गए वहां यमराज से मुलाकात की और पूछा कि मेरा क्या गलती था जो मुझे राजा ने इसकी सजा दी तब यमराज ने कहा था कि तुम जब 12 वर्ष के थे तो एक कीड़े को नोक में छेद रहे थे और वह कीड़ा दर्द से हो रहे थे इसकी सजा तुम्हें मिली है

यह सुनते ही ऋषि मांनडवय ने अपना क्रोध होते हुए यमराज को कहा कि तुमको पता नहीं है क्या जब बच्चे 12 वर्ष के होते हैं तो उसे कोई भी पाप नहीं लगता और तुमने मेरे बचपन का पाप दिया है इसलिए मैं तुझे शराब देता हूं कि तुम इस कर्म को भोगेंगे और तुम्हें भी यह पाप लगेगा

इसी पाप के कारण यमराज महाभारत काल में विदुर के रूप में जन्म लिए और एक ज्ञानी के रूप में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को पहचान लिए कि यह साक्षात पालन करता श्री हरि विष्णु जी है और यह महाभारत काल में विदुर भी जानते थे कि महाभारत युद्ध होगा और इसके अलावा कृष्ण भगवान और सहदेव जो पाच पांडव के छोटे भाई है इन तीन को पता था कि महाभारत होने वाला है

ऋषि वेदव्यास का सहारा क्यों लिया

भीष्म पितामह की मां चाहते थे कि वह अपना प्रतिज्ञा तोड़ दे लेकिन भीष्म किसी भी हाल में अपना प्रतिज्ञा नहीं तोड़ने वाला था इसलिए सत्यवती ने अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए ऋषि वेद व्यास के सहारे की जरूरत पड़ी और उनसे संतान उत्पन्न हुए जिसका नाम धृतराष्ट्र पांडु और विदुर है

भीष्म पितामह आजीवन ब्रह्मचारी का प्रतिज्ञा ले चुके थे इसलिए उन्होंने कभी किसी के साथ वैवाहिक संबंध नहीं बनाए और उसके वंश को आगे बढ़ाने के लिए ऋषि वेदव्यास में अपने शक्ति से तीनों संतान को उत्पन्न किया

विदुर जी

विदुर जी महाभारत काल में प्रधानमंत्री थे और उसका सम्मान सभी करते थे और वह गलत कार्य का विरोध करते थे और उसने अपना पद भी इस्तीफा दे दिया क्योंकि जब द्रोपदी का चीर हरण हुआ था तो उसने धृतराष्ट्र को या अपमान का भागीदारी बताया और अपना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उसमें अपने विदुर नीति का भी व्याख्या किया है जिसे लोग आज पढ़कर गलत सही का मार्ग समझते हैं

विदुर कौन हैं

विदुर पांडव और कावरव के चाचा जी है

विदुर कौन है

विदुर यमराज के रूप है

विदुर के माताजी कौन है

विदुर जी की माता एक दासी हैं

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