चाणक्य नीति। कई वर्ष पहले महान आचार्य चाणक्य का जन्म हुआ था और वह जन्म से ही एक महान विद्वान थे उसका जन्म चणक नाम के ब्राह्मण के यहां हुआ था और उसका लिखा ग्रंथ आज भी उतना ही सटीक है जितना कि वह उसे जमाने में हुआ करता था
चाणक्य नीति
चाणक्य ने इस ग्रंथ की स्थापना कई वर्ष पहले कर ली थी और भगवान सर्वशक्तिमान विष्णु के प्रणाम करके यह ग्रंथ लिखा है
- विपत्ति के समय काम वाले धन की रक्षा करें धन से स्त्री की रक्षा करें और अपनी रक्षा करें और अपनी रक्षा धन और स्त्री दोनों से सदा ही करनी चाहिए
- आपत्ती से बचने के लिए धन की रक्षा करें क्योंकि पता नहीं कब आपदा आ जाए लक्ष्मी तो चंचल है संचय किया गया धन कभी भी नष्ट हो सकता है
- जिस देश में सम्मान ना हो आजीविका के साधन न हो बंधु बांधव न हो और ना ही विद्या प्राप्त करने के साधन हो ऐसे देश में नहीं रहना चाहिए जितना जल्दी हो सके उसे देश को छोड़ देना चाहिए
- जहां धनी ज्ञानी राजा नदी और वैध के पांच विद्वान न हो वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहिए
- जहां जीविका भय लज्जा चतुराई और त्याग की भावना ए पांच न हो वहां के लोगों के साथ कभी ना रहे और ना उनसे व्यवहार करें
- नौकर को बाहर भेजने पर संकट के समय भाई बंधुओ को तथा विपत्ति में दोस्त को और धन के नष्ट हो जाने पर अपनी स्त्री को परखना चाहिए अर्थात उसकी परीक्षा लेनी चाहिए
- बीमारी में विपत्ति काल में अकाल के समय दुश्मनों से गिर जाने पर राज दरबार में फंसने पर और मरने पर शमशान भूमि में जो साथ रहता है वही सच्चा भाई अथवा बंधु है
- जो अपने निश्चित कर्मों अथवा वस्तु का त्याग करके अनिश्चित की चिंता करता है उसका अनिश्चित लक्ष्य तो नष्ट होता ही है निश्चित भी नष्ट हो जाता है
- बुद्धि हीन व्यक्ति को अच्छे कुल में जन्म लेने वाली कुरुप कन्या से भी विवाह कर लेना चाहिए परंतु अच्छे रूप वाली नीच कुल की कन्या से विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि विवाह संबंध सामान कुल में ही श्रेष्ठ होता है
- लंबे नाखून वाले हिंसक पशुओं नदियों बड़े-बड़े सिग़ वाले पशुओं शस्त्रधारियों स्त्रियों और राज परिवारों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए इन पर विश्वास करने वाले कभी सुख नहीं पाते
- विष से अमृत कड़वी दवा से इलाज अशुद्ध स्थान से सोना नीच स्वभाव वाले से विद्या और दुष्ट कल की गुनी स्त्री को ग्रहण करना अनुचित नहीं है
- पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का भोजन दोगुना बुद्धि चौगुनी साहस छ: गुना और काम रति इच्छा 8 गुना ज्यादा है
- झूठ बोलना उतावलापन दिखाना छल कपट मूर्खता अत्यधिक लालच अशुद्ध ता और निर्दयता ये सभी दोष स्त्रियों में स्वाभाविक रूप से मिलते हैं
- भोजन के योग्य पदार्थ तथा उसे अच्छी तरह से पचने की शक्ति सुंदर स्त्री और उसे स्त्री के साथ सुसंग की शक्ति हो खूब सारा धन और धन को दान करने का उत्साह हो ये सभी बातें किसी तपस्या के फल के समान है अर्थात कठिन साधना के बाद ही प्राप्त होती है
- जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो स्त्री उसके अनुसार चलने वाली हो अर्थात पतिव्रता हो जो अपने पास धन से संतुष्ट रहता हो उसके लिए स्वर्ग यहीं पर है
- सच्चा पुत्र वही है जो पिता का आज्ञाकारी हो सच्चा पिता वही है जो बच्चों को पालन पोषण करता है सच्चा मित्र वही है जिसमें पूर्ण विश्वास हो और सच्ची स्त्री वही है जिससे परिवार में सुख शांति प्राप्त हो
चाणक्य का पिता का नाम क्या था
चाणक्य का पिता का चनक था
आचार्य चाणक्य को और कौन स नाम से जाना जाता है
विष्णु गुप्ता और कौटिल्य के नाम से