चाणक्य का जन्म कहां हुआ था । चाणक्य का जन्म बिहार के पटना क्षेत्र में हुआ था ऐसा माना जाता है कि चाणक्य एक गरीब ब्राह्मण के यहां पैदा हुआ था और उसका पिता का नाम चनक नाम के ब्राह्मण थे आईए जानते हैं चाणक्य के जन्म के बारे में
चाणक्य का जन्म कहां हुआ था
चनक नाम के ब्राह्मण के घर आचार्य चाणक्य का जन्म हुआ था और उसके जन्म से पहले चाणक्य के माता जी भगवान के भागत हुआ करते थे चनक और उनके पत्नी को बहुत दिनों के बाद भी एक भी संतान नहीं हुआ था तब चाणक्य के माताजी ने भगवान के बहुत पूजा अर्चना करते थे तब एक दिन आचार्य चाणक्य के माता जी गर्भधारण कर लिए उसके बाद कुछ दिनों में चाणक्य को जन्म दिया इसके खुशी में उसके माता-पिता ने कुछ ऋषि मुनि को भोजन के लिए बुलाए थे तभी ऋषि मुनि ने आचार्य चाणक्य का कुंडली देखा
जन्म से ही आचार्य चाणक्य थे विद्वान
महान आचार्य चाणक्य जन्म से ही बुद्धिमान थे और उन्हें ऋषि मुनि ने या तो राजा बनेगा या एक भिक्षु यह कहकर भोजन करने के बाद चले गए इसके बाद आचार्य अचानक्य के माता और उसके पिताजी ने आचार्य चाणक्य को कहा कि बेटा तुम राजा बनने के बाद हमें भूल जाओगे और हम तुम्हारे बिना नहीं रह सकते और हम तुम्हें बहुत दिनों बाद
पाए हैं इसलिए हम तुमसे दूर नहीं जाना चाहते और तुम्हारे कुंडली देखकर ऋषि मुनियों ने तुम्हें राजा बने वाले व्यक्ति बताया है और तुम्हारे दांत निकला हुआ है तो तुम राजा ही बनोगे तभी आचार्य चाणक्य ने अपने माता को वचन देते हुए अपने खंड दांत को पत्थरों से तोड़ दिया और बोला मैं मां मैं वादा करता हूं मैं कभी राजा नहीं बनूंगा
इस प्रकार आचार्य चाणक्य मैं अपने माता को वादा किया और कुछ दिनों बाद धनानंद ने आचार्य चाणक्य के पिताजी को मरवा दिया उसके बाद आचार्य चाणक्य ने इसका आक्रोश लेने के लिए वह घनानंद को कई बार समझाने गए लेकिन वह नहीं माने तो उसने प्रतिज्ञा ले ली की जब तक मैं तुम्हारे वंश को उखाड़ करना फेंक न दूं तब तक मैं मेरी शिखा को नहीं बंदूंगा
इतना कहकर आचार्य चाणक्य वहां से चले गए और अपने राजा बनाने वाले युवक की तलाश करने लगे तभी एक दिन चंद्रगुप्त मौर्य को खेलते हुए देखा और उसके पराक्रम को देखते हुए उसने चंद्रगुप्त मौर्य को कहा कि मैं तुझे राजा बनाऊंगा तभी उसने चंद्रगुप्त मौर्य को अच्छा शिक्षा दीक्षा देकर वह अपना बदला 7 वर्ष में चुका लिए इस प्रकार आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश की स्थापना की
आचार्य चाणक्य का मृत्यु
कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य का मृत्यु आज भी रहस्य से भरा हुआ है कई लोग कहते हैं कि उसे जंगलों में सुबंधु ने जला दिया और कई लोग कहते हैं कि इस महल के ही रानी ने जहर देकर आचार्य चाणक्य को मार दिए
लेकिन आज भी आचार्य चाणक्य का मौत कैसे हुआ यह कोई नहीं बता पाया और रहस्य रहा है लेकिन जब चंद्रगुप्त के बौद्ध धर्म अपनाने के बाद उसके बेटे बिंदू सार ने राजगद्दी संभाला तब आचार्य चाणक्य और बिंदुसार के नजदीकी को सुबंधु नाम के मंत्री को खटकते थे
तभी सुबंधु ने बिंदुसार और आचार्य चाणक्य के बीच मनमुटाव पैदा कर दिए और उन्हें भड़कते हुए कहा कि तुम्हारे माता जी को आचार्य चाणक्य न हीं मरवा दिए तब बताते हुए बिंदुसार को काफी क्रोध आए और वह आचार्य चाणक्य को चिल्लाने लगे तभी आचार्य चाणक्य ने गुस्से में आकर राजमहल को छोड़कर जंगल की ओर चले गए
तो बाद में जाकर बिंदुसार को एहसास हुआकी कि उसने गलत कर दिया आचार्य चाणक्य के साथ जब उसके राजमहल के काम करने वाली ने बताया कि जब तुम्हारे पिताजी भोजन करते थे तब आचार्य चाणक्य उसमें थोड़ा जहर मिलते थे क्योंकि वह चाहते थे कि कोई उसे जहर देकर ना मार सके इसलिए वह थोड़ा-थोड़ा चंद्रगुप्त मौर्य के खाने में जहर
मिलाया करते थे लेकिन एक दिन धोखे से तुम्हारे माताजी ने वह भोजन खा लिए तभी आचार्य चाणक्य ने तुम दोनों को बढ़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह तुम्हारे माता जी को नहीं बचा पाए ऐसा कहते हुए दासी में बिंदुसार को यह बात बताइए
लेकिन बहुत देर हो चुका था और आचार्य चाणक्य फिर कभी वापस नहीं लौटे तभी माना जाता है की सुबंधु में जंगलों में आग लगाकर चाणक्य को मार दिया लेकिन अभी चाणक्य का मृत्यु रहस्य से भरा हुआ है