कलयुग पर चाणक्य के सुंदर विचार क्या है आईए जानते हैं वैसे तो आचार्य चाणक्य ने कई साल पहले चाणक्य नीति में नीति शास्त्र के बारे में सटीक अनुमान है और आज के दीनों में भी चाणक्य नीति में कह गए वाक्य आज भी सटीक बैठती है आचार्य चाणक्य जन्म से ही बुद्धिमान और चतुर दिमांग थे और उन्होंने नंद वंश को समाप्त करके मौर्य वंश का स्थापना की और आज भी उनके नीति शास्त्र के अनुसार राजनीति और जीवन जीने की शैली लोग अपने की कोशिश करते हैं
कलयुग पर चाणक्य के सुंदर विचार
कलयुग में चाणक्य का क्या विचार है चाणक्य नीति से ली हुई वाक्य से जानते हैं
- यह शरीर जब तक निरोग है या जब तक मृत्यु नहीं आती तब तक मनुष्य को अपनी आत्म कल्याण का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि अंत समय आने पर वह क्या कर पाएगा ।
- विद्या कामधेनु के समान सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाली है विद्या से सभी फल समय पर प्राप्त होते हैं प्रदेश में विद्या माता के समान रक्षा करती है विद्वानों ने विद्या को गुप्त धन कहा है इसका ना तो हरण किया जा सकता है न इसे चुराया जा सकता है ।
- बहुत बड़ी आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा पैदा होते ही जो मर गया वह अच्छा है क्योंकि मरा हुआ पुत्र कुछ देर के लिए ही कष्ट देता है परंतु मूर्ख पुत्र जीवन भर जलता है ।
- उस गाय से क्या लाभ जो न बच्चा जाने और न दूध ही दे इसी प्रकार ऐसे पुत्र के जन्म लेने से क्या लाभ जो न तो विद्वान हो न ईश्वर में आस्था रखता हो ।
- इस संसार में दुखों से तप्त प्राणी को तीन बातों से सुख शांति प्राप्त हो सकती है सुपुत्र से पतिव्रता स्त्री से और सदसंगति से।
- तपस्या अकेले में अध्ययन पढ़ाई दो के साथ गाना तीन के साथ यात्रा चार के साथ खेती पांच के साथ और युद्ध बहुत से सहायकों के साथ होने पर ही उत्तम। होता है।
- पत्नी वही है जो पवित्र हो चतुर हो पतिव्रता हो जिस पर अपने पति का प्रेम हो तथा जो सदैव सत्य बोलते हो।
- बिना पुत्र के घर सुना है बिना बंधू बांधव के दिशाएं सुनी है मूर्ख का हृदय भावों से सुना है दरिद्रता सबसे सुनी है अर्थात दरिद्रता का जीवन महा कष्ट कारक है।
- बिना अभ्यास के विद्या विष बन जाती है बिना पचा भोजन विष बन जाता है दरिद्र के लिए सभा में जाना विष के समान होता है और वृद्धों के लिए युवा स्त्री विष समान होती है।
- दयाहीन धर्म को छोड़ दो विद्याविहीन गुरु को छोड़ दो झगड़ालू और क्रोधी स्त्री को छोड़ दो स्नेहा विहीन बंधु बांधव को छोड़ दो।
- मनुष्य को बहुत ज्यादा रास्ता चलना घोड़े को एक ही स्थान पर बांधे रखना और स्त्रियों के लिए पुरुष का समागम मैथुन न होना वस्त्रों को लगातार धूप में डालें रखने से बुढ़ापा शीघ्र आ जाता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति को बार-बार यह सोचना चाहिए कि हमारे मित्र कितने हैं हमारा समय कैसा है अच्छा है या बुरा हमारा निवास स्थान कैसा है सुखद अनुकूल अथवा विपरीत हमारी आय कितनी है और व्यय कितना है मैं कौन हूं आत्मा हूं अथवा शरीर स्वाधीन हु अथवा अपराधी तथा मेरी शक्ति कितनी है।
- अत्यंत क्रोध करना कड़वी वाणी बोलने दरिद्रता और अपने सगे संबंधियों से बैर विरोध करना निच पुरुष का संग करना छोटे कूल के व्यक्ति की नौकरी अथवा सेवा करना ये छह दुर्गुण ऐसे है जिसमें पृथ्वी लोक में ही नरक के दुखों का आभास हो जाता है।
यह है आचार्य चाणक्य के लिखा ग्रंथ चाणक्य नीति से लिया गया है जिसे लोगों को इसे अच्छे बुरे की जानकारी प्राप्त होगी और कौन सा कार्य करने में गलत है और कौन सा सही यह आचार्य चाणक्य अपने चाणक्य नीति में पहले ही लिख दिया है
संकट के समय क्या करें
धैर्य बनकर रखें और अच्छा संगति करें
कोई शत्रु परेशान करे तो क्या करे
शत्रु से 10 कदम पीछे रहे और उसे देखते ही उनसे दूर हो जाए